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Bima salahkar Blog


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मुनगा सहिजन


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सहिजन एक लोकप्रिय पेड़ है।जिसकी ऊंचाई 10 मीटर या अधिक सहिजन है । इसके छालों में लसलसा गोंद पाया जाता है। इसके पत्ते छोटे और गोल होते हैं तथा फूल सफेद होते हैं।इसके फूल पते और फल (जोकी) खाने में इस्तेमाल में लाये जाते हैं। इसके पत्ते (लौह) आयरन के प्रमुख स्रोत हैं जो गर्भवती माताओं के लिए लाभदायक है ।


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निर्गुण्डी


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यह झड़ी दार पौधा जो कभी कभी छोटा पेड़ का रूप ले लेता है।इसके पत्ते 5 -10 सेंटीमीटर लम्बी तथा छाल धूसर रंग का होता है इसके फूल बहुत छोटे और नीलेपन लिए बैंगनी रंग के होते हैं जो गुच्छे दार होते हैं इसके फाल गुठलीदार होते हैं जो 6 मिलीमीटर डाया मीटर से कम होते हैं और ये पकने पर काले रंग के होते हैं ।


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सेमल


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सेमल के पेड़ बडे मोटे तथा वृक्ष में कांटे उगे होते हैं इसकी शाखाओं में 5- 7 के समूह में पत्ते होते हैं।जनवरी –फ़रवरी के दौरान इसमें फूल आते हैं।जिसकी पंकुधियाँ बड़ी तथा इनका रंग लाल होता है बैशाख में फल आते हैं जिनके सूखने पर रूई और बीज निकलते है ।


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हडजोरा


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हड्जोरा /अमृता एक लता है।इसके पत्ते गहरे हरे

रंग के तथा हृदयाकार होते हैं।मटर के दानो के आकार के इसके फल कच्चे में हरेहाड़जोड़ा
तथा पकने पर गहरे लाल रंग होते हैं।यह लता पेड़ों , चाहरदीवारी या घरों के छतों पर आसानी से फैलती है।इसके तने से पतली पतली जड़ें निकल कर लटकती है ।

2 Vitis quadrangularis: हडजोरा का यह प्रकार गहरे हरे रंग में पाया जाता है।ये गुठलीदार तथा थोड़ी थोड़ी दूर पर गांठे होती है।इसके पत्ते बहुत छोटे होते हैं।जोड़ों के दर्द तथा हड्डी के टूटने तथा मोच आने पर इसका इस्तेमाल किये जाने के कारण इसे हडजोरा के नाम से जाना जाता है ।


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हर्रे (Terminalia chebula)


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यह एक बड़ा वृक्ष है।इसके फल कच्चे में हरे तथा पकने पर पीले धूमिल रंग के होते हैं।इसके फल शीत काल में लगते हैं जिसे जनवरी – अप्रैल में जमा किया जाता है।इसके छाल भूरे रंग के होते हैं।इसके फूल छोटे, पीताभ तथा फल 1-2 इंच लम्बे , अंडाकार होते हैं ।


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हल्दी


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हल्दी के खेतों में तथा बगान में भी लगया जाता है। इसके पत्ते हरे रंग के दीर्घाकार होते हैं।इसका जड़ उपयोग में लाया जाता है। कच्चे हल्दी के रूप में यह सौन्दर्यवर्द्धक है।सुखे हल्दी को लोग मसले के रूप में इस्तेमाल करे हैं। हल्दी रक्तशोधक और काफ नाशक है ।

  • यह एक एंटीऑक्सीडेंट हो सकती है।
  • यह ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद कर सकती है (डायबिटीज़ विरोधी)।
  • यह हाइपोलिपिडेमिक (कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली) हो सकती है।
  • यह सूजन को कम करने में मदद कर सकती है (सूजनरोधी)।
  • यह सूक्ष्मजीवों के विरुद्ध प्रभावी हो सकती है (रोगाणुरोधी)।
  • इसमें हेपेटोप्रोटेक्टिव (लीवर को सुरक्षित रखने वाले) गुण हो सकते हैं।
  • इसमें नेफ्रोप्रोटेक्टिव (किडनी को सुरक्षित रखने वाले) गुण हो सकते हैं।
  • यह थक्कारोधी के रूप में कम कर सकती है (खून के थक्के जमने को रोकता है)।

पाचन तंत्र के लिए हल्दी के संभावित उपयोग:

हल्दी के अवयवों का गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। एक अध्ययन के अनुसार, हल्दी के एक अवयव सोडियम करक्यूमिनेट से आंतों में होने वाली ऐंठन को रोका जा सकता है। हल्दी का एक और अवयव जिसे पी-टॉलीमिथाइलकारबिनोल कहा जाता है, सेक्रेटिन, बाइकार्बोनेट, गैस्ट्रिन और पैंक्रिअटिक एंजाइम स्राव को बढ़ा सकता है। पशुओं पर किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, हल्दी जानवरों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंसल्ट (पेट या आंत में किसी प्रकार की क्षति या चोट) की समस्या में आंत की दीवार के म्यूकस को बढ़ाकर  तनाव, शराब, इंडोमेथेसिन (नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स), रेसरपाइन और पाइलोरिक लिगेशन (ऐसी स्थिति जिससे पेट में गैस्ट्रिक एसिड जमा होने लगता है) जैसे कारणों से होने वाले अल्सर को बनने से रोकने में मददगार हो सकती है।

हल्दी पित्त स्राव को बढ़ाने में मदद कर सकती है और संभावित रूप से, शरीर में फ़ैट को पचाने में मदद मिल सकती है। इससे पाचन के बेहतर होने में मदद हो सकती है और लीवर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में भी मदद हो सकती है। हालांकि, इस तरह के दावों को साबित करने के लिए और शोध किये जाने चाहिए।

 

श्वसन तंत्र के लिए हल्दी के संभावित उपयोग:

हल्दी नाक से बहते खून को रोकने में, साइनस को साफ करने और सूंघने की क्षमता को तेज़ करने में असरदार हो सकती है। खांसी, साइनसाइटिस और डिस्पेनिया (सांस लेने में दिक्कत) में भी हल्दी मदद कर सकती है।5 हालांकि, इन प्रभावों को आगे के शोध से पता लगाने की ज़रूरत है।

इंफेक्शन के लिए हल्दी के संभावित उपयोग:

हल्दी के अर्क और करकुमा लोंगा के एसेंशियल ऑयल से अलग-अलग तरह के बैक्टीरिया, रोग पैदा करने वाले कवक और परजीवी रोके जा सकते हैं। हल्दी का जलीय अर्क एंटीबैक्टीरियल प्रभाव दिखा सकता है। कई बैक्टीरिया जैसे स्टैफिलोकोकस, लैक्टोबैसिलस और स्ट्रेप्टोकोकस के बढ़ने को करक्यूमिन द्वारा रोका जा सकता है। हल्दी के ईथर और क्लोरोफॉर्म अर्क एंटिफंगल क्षमता दिखाते हैं। हल्दी में एंटीवायरल गुण भी हो सकते हैं। हल्दी के ये सारे गुण इंफेक्शन पैदा करने वाले कीटाणुओं से लड़ने में मदद कर सकते हैं।

डिटॉक्सिफिकेशन के लिए हल्दी के संभावित उपयोग:

डिटॉक्सिफिकेशन शरीर से विषैले पदार्थों को खत्म करने की प्रक्रिया है। हल्दी का सक्रिय अवयव, करक्यूमिन, सीसा और कैडमियम जैसी भारी धातुओं के साथ जुड़ सकता है और इन धातुओं के विषैलेपन को कम कर सकता है। हल्दी विष से निपटने और खून के शुद्धिकरण में भी कारगर हो सकती है।5 हालांकि, इन प्रभावों पर और शोध किए जाने की ज़रूरत है। अपनी मर्ज़ी से दवा न लें। डॉक्टर से परामर्श करें।

त्वचा के लिए हल्दी के संभावित उपयोग:

रक्त को शुद्ध करने और पोषण देने में हल्दी मदद कर सकती है जिससे त्वचा स्वस्थ और चमकदार हो सकती है। यह एंटीसेप्टिक और जीवाणुरोधी गुणों के कारण मुहांसे, एक्जिमा आदि जैसे त्वचा के रोगों के लिए असरदार हो सकती है। यह समय से पहले उम्र बढ़ने के लक्षणों को भी कम करने में मदद कर सकती है। हल्दी सनस्क्रीन और सौंदर्य प्रसाधनों का भी एक घटक है।5 हालांकि, त्वचा पर इसके प्रभावों पर और शोध किए जाने की ज़रूरत है।


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