बल तथा गति के नियम
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पिछले टाइम में हमने एक सरल रेखा में वस्तु की स्थिति विवेक तथा त्वरण के आधार पर वस्तु की गति का वर्णन किया हमने देखा कि ऐसी गति में कभी एक रूपबंता होती है तथा कभी नहीं लेकिन अभी हमने यह चर्चा नहीं की की गति का कारण क्या होता है समय के साथ वस्तु की चाल क्यों बदलता है क्या सभी प्रकार की गतियां का कोई कारण होता है यदि ऐसा है तो इस कारण का स्वभाव क्या है इस अध्याय में हम ऐसी ही सभी जिज्ञासाओं को बुझायेंगे
सर्दियों से गति और इसके कर्ण ने वैज्ञानिकों और दार्शनिकों को उलझा रखा था फर्श पर रखी एक गेंद को धीमी सेट होकर लगाने पर वह हमेशा के लिए गतिशील नहीं रहती ऐसी परिस्थितियों से यह पता चलता है कि किसी वस्तु की विराम की अवस्था की उसकी स्वाभाविक अवस्था है ऐसी मान्यता तब तक बनी रही जब तक की गलियों और विजाग न्यूटन ने वस्तुओं की गति के बारे में एक पुण्यतिथि संकल्पना वस्तु की
अपने प्रतिदिन के जीवन में हमने देखते हैं कि एक स्थिर वस्तु को गति देने के लिए या गतिशील वस्तु को रोकने के लिए हमें कुछ प्रयास करना पड़ता है सामान्य भाषा में इसके लिए हमें शारीरिक प्रयास करना पड़ता है तथा हम कहते हैं कि किसी वस्तु को गति की अवस्था में लाने के लिए हमें उसे खींचना तो खेलने या ठोकर लगाना पड़ता है खींचना तक अकेला ठोकर लगने की इसी प्रक्रिया पर बल की अवधारणा आधारित अब हम बोल के विषय में विचार करते हैं यह क्या है वास्तव में बाल को ना तो किसी ने देखा ना चखा और ना ही महसूस किया हालांकि बाल का प्रभाव हम पहले देखे या महसूस करते हैं किसी वस्तु पर बल लगाने पर क्या होता है यह जानकर हम बाल की व्याख्या कर सकते हैं वस्तु को कितना लगे नेटवर्क पर लगाना यह सभी क्रियाएं वस्तु को गति देने की व्याख्या है हमारे द्वारा किसी तरह का बाल लगाने पर ही उनसे गति होती है
पिछले कक्षा में अर्जित ज्ञान के आधार पर आप इस बात से परिचित है कि किसी वस्तु में वेज का परिमाण बदलने अर्थात वस्तु की गति को तेज या धीमी करने के लिए या उसकी गति की जानते हैं कि किसी बोल के प्रयोग द्वारा वस्तु का कार्य करती भी बदली जा सकती है
वस्तु की किसी अटल प्रगति को देखकर गैलीलियो ने यह निष्क निकला कि जब तक कोई ग्राहक बल कार्य नहीं करता वस्तु एक निश्चित गति से चलती है उन्होंने देखा कि कांच की गोली अनाथ तल पर लुढ़कती है तो उसका वेग बढ़ जाता है अगले अध्याय में आप पढ़ेंगे की गोली संतुलित गुरुत्वीय बल के कारण नीचे गिरती है
प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या सरल रेखा एक समान गति की अवस्था में बनी रहती है जब तक कि उसे पर कोई बाहरी बाल कार्यरत ना हो
गति का प्रथम नियम यह बताता है कि जब कोई असंतुलित प्रभाव बाल किसी वस्तु पर कार्य करता है तो उसके वेज में परिवर्तन होता है अर्थात वस्तु त्वरण प्राप्त करती है अब हम देखेंगे कि किसी वस्तु का त्वरण उसे पर लगाए गए बल पर कैसे निर्भर होता है तथा उसे बोल को हम कैसे मापते हैं लिए कुछ दैनिक अनुभव का अध्ययन करें टाइटल डालने से खेलने के दौरान यदि केंद्र किसी खिलाड़ी के शरीर से टकराती है तो वह घायल नहीं होता गति से आई हुई क्रिकेट की केंद्र किसी दर्शन को लगने के बाद उसे घायल कर सकती है सड़क के किनारे खड़े किसी ट्रक से कोई दुर्घटना नहीं होती परंतु 5 मीटर सेकंड -1 जैसे कम गति से चलते हुए ट्रक से प्राप्त करती है अब हम देखेंगे कि किसी वस्तु का त्वरण उसे पर लगाए गए बल पर कैसे निर्भर होता है तथा उसे बोल को हम कैसे मापते हैं लिए कुछ दैनिक अनुभव का अध्ययन करें टाइटल डालने से खेलने के दौरान यदि केंद्र किसी खिलाड़ी के शरीर से टकराती है तो वह घायल नहीं होता गति से आई हुई क्रिकेट की केंद्र किसी दर्शन को लगने के बाद उसे घायल कर सकती है सड़क के किनारे खड़े किसी ट्रक से कोई दुर्घटना नहीं होती परंतु 5 मीटर सेकंड -1 जैसे कम गति से चलते हुए ट्रक से कोई दुर्घटना नहीं होती परंतु 5 एस -1 जैसी कम गति से चलते हुए ट्रक से टक्कर रास्ते में खड़े किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन सकता है एक छोटे द्रव्यमान की वस्तु जैसे गोली को अगर बंदूक से तेल वेग से छोड़ जाए तो वह भी किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन सकती है इससे पता चलता है की वस्तु के द्वारा उत्पन्न प्रभाव वास्तु के द्रव्यमान एवं वेज पर निर्भर करता है इसी प्रकार यदि किसी वस्तु को टार्बेट किया जाता है तो अधिक वेज प्राप्त करने के लिए अधिक बल की आवश्यकता होती है दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं की वस्तु के द्रव्यमान एवं वेग से संबंधित एक महत्वपूर्ण राशि होती है स्वैग नामक इस राशि को न्यूटन नेट प्रस्तुत किया था किसी वस्तु का श्वेत भी उसके द्रव्यमान एवं और वेज भी के गुणनफल से परिभाषित किया जाता है
पहले दोनों सूक्ति के नियमों से हमें ज्ञात होता है कि कोई प्रयुक्त बाल वस्तु की गति की अवस्था में परिवर्तन लाता है तथा इसे हमें बाल को मापने की विधि भी प्राप्त होती है गति के तीसरे नियम के अनुसार जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बाल लगती है तब दूसरी वस्तु द्वारा भी पहले वस्तु पर दांत सैनिक बल लगाया जाता है यह दोनों बाल परिणाम में सदैव सामान लेकिन दिशा में परिवर्तित होते हैं इसका तात्पर्य यह है कि बल सदैव युगल रूप मैं होते हैं यह बोल कभी एक वस्तु पर एक कार्य नहीं करते बल्कि दो अलग-अलग वस्तु पर कार्य करते हैं फुटबॉल के खेल में परी है हम गेंद को तेज गति से की करने के क्रम में विश्व की टीम के खिलाड़ी से टकरा जाते हैं इस क्रम में दोनों खिलाड़ी एक दूसरे पर बाल लगते हैं अतः दोनों ही खिलाड़ी चोटिल होते हैं दूसरे शब्दों में किसी अकाल बाल का अस्तित्व नहीं होता बल्कि यह सदैव युगल रूप में होते हैं इन दोनों विरोधी बलों का क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल कहा जाता है
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