जीवन के रंग
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कुछ लोग उसे सनकी कहते हैं और कुछ जुनून नहीं तो कुछ और मगर रम्य को इससे फर्क नहीं पड़ता वह अपनी साइकिल पर डेरो पौधे लिए रोज सुबह घर से निकल पड़ता है गीत गाता है और सबसे पेड़ लगाने को कहता है रम्य अपने सपने की धुन में मगन है उसका सपना है हरी भरी धरती का जंगल बचाने का पेड़ लगाने का रम्य जानता है कि इस सपने को कैसे पूरा करना है किसी की शादी हो तो उपहार में पौधा देता है जन्मदिन हो तो पौधा भेंट करता है जहां जो भी मिल जाए तो उसे एक पौधा थमा देता है
कई लोगों को उसे पर शक हुआ कि कौन है यह आदमी? कुछ दिन पहले तक तो गुजरे के लिए दूध बेचता था और उसे दूध के साथ-साथ पौधे भी लिए घूमता है कुछ लोगों की शिकायत पर वन विभाग के अधिकारियों ने उसे बुलवाया अधिकारी कुछ पूछ पाते उससे पहले ही रम्य ने एक पौधा उनकी और बढ़ाया और बोला जी पहले यह नीम का पौधा दीजिए दांतों के लिए इसकी दातुन बहुत ही लाभदायक होती है इसके पत्ते जलाने से मच्छर दूर भाग जाते हैं यह है पौधा अपने घर के पास में लगाइएगा अधिकारी ने और कुछ पूछने की जरूरत नहीं समझी
रम्य का यह जुनून कैसे शुरू हुआ इसके पीछे भी एक कहानी है वैसे तो उसे बचपन से पेड़ पौधे पसंद थे मगर अपने मास्टर जी की एक बात उसे हमेशा याद रही मास्टर जी कहते थे पेड़ हमें ताजी हवा फल फूल छाया और बहुत कुछ देते हैं जबकि बदले में बहुत थोड़ी सी देखभाल मांगते हैं इंसान होता तो इतना सब देने की बड़ी कीमत मांगता लांबिया ने कागज का नोट बनाकर उसे पर पेड़ों की तस्वीर लगाई और उसके नीचे लिखा पेड़ की कीमत पैसों से बढ़कर है
एक बार राम्या की बेटी को तेज सिर दर्द हुआ दवा लेने पर कुछ दिन तो ठीक रही लेकिन फिर यह दर्द रोग होने लगा रम्य ने कारण खोज तो पता चला की बेटी के स्कूल में बाहर बैठकर पढ़ाई होती है वहां पेड़ नहीं है ज जिसके कारण उसकी बेटी ही नहीं बल्कि कई बच्चों के साथ ऐसा हो रहा था रम्य ने सोचा कि क्यों ना वहां पर इतने पौधे लगा दिए जाए कि बच्चे छांव में बैठकर पड़े यही विचार रम्य के जुनून का कारण बन गया रम्य अपने हाथों से अब तक सैकड़ो पौधे लगा चुका है स्कूल दफ्तर मस्जिद मंदिर जहां भी जाता है पेड़ के गुण बताता है नए-नए तरीके से लोगों को पेड़ लगाने के लिए मानता है उसने बेटी बेटा की शादी के कार्ड पर पेड़ों के महत्व का संदेश लिखा नारा लगाया-" धरती का अब करो श्रृंगार पेड़ लगाओ सब दो चार
रम्य के इस जुनून में धीरे-धीरे बहुत लोग शामिल हो रहे हैं वह कहते हैं मैं कहते हैं ₹10 मिल जाए तो धरती पर चाहे जंगल भर जाए खुशहाली आ जाए
एक बार एक जंगल में आग लग गई सभी जानवर आग बुझाने में जुट गए जिसके हाथ में जो भी पत्र आया वह उसमें पानी भरकर आग में डालने लगा सभी को आग बुझाने में झूठा देख एक नई गोरिया भी अपनी च** में पानी भर भर कर आग में डालने लगी
एक कौवा दूर सुरक्षित दल पर बैठा तमाशा देख रहा था वह गोरिया के पास आकर बोला नन्ही गुड़िया क्यों बेकार में मेहनत कर रही हो? तुम्हारी नानी चूचू का बूंद भर पानी इस भयंकर आग को बुझाने में क्या सहायता कर?
गोरिया बोली यह तो मैं भी जानती हूं परंतु यदि कभी इस आज के बारे में बातें होगी तो मेरा नाम आग लगाने वालों अथवा तमाशा देखने वालों में नहीं बल्कि आग बुझाने वालों में लिया जाएगा
इस पाठ से हमें यह सीख मिलती है कि जब कोई भी परिस्थिति हो तो हमें मिलकर काम करना चाहिए ना कि तमाशा देखना चाहिए
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Vanshika
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