कंप्यूटर-
मैं कंप्यूटर हूं। आपने मुझे कहीं न कहीं पढ़ा या देखा होगा। मैं दिखने में तो आपके घर के टेलीविजन या टवी जैसा हूं लेकिन मुझमें में और टीवी में बहुत अंतर है। टीवी पर आप कवल कार्य कर्मों देखते ह किंतु मेरे साथ कार्टून फिल्म देखने खेल खेलने के अलावा आप और भी कार्य कर सकते हैं जैसे पत्र लिखना एवं इसे भेजना कार्ड बनना संख्या जोड़ना घटाना आदि।
मैं बिजली से चलने वाली मशीन हू। मनुष्य ने अपने कार्यों को आसानी से करने एवं समय की बचत के लिए मुझे बनाया है। जैसे आपके शरीर में हाथ पैर नाक आंख मुंह आदि अंग है वैसे ही मॉनिटर कीबोर्ड माउस मेरे अंग है। मैं बहुत तेजी से कार्य करता हूं। कठिन से कठिन कार्य को भी बड़ी आसानी से कुछ ही क्षणों में करलेट हूं। मैं आपके या आपके जैसे लोगों के दिए गए आदेश या निर्देश के अनुसार ही कार्य करता हू।
कंप्यूटर का इतिहास
आप जिस कंप्यूटर को आजकल प्रयोग होते देखते हैं वह प्रारंभ में वैसा नहीं था। आजकल के कंप्यूटर का विकास पिछले 50 वर्षों में वैज्ञानिकों की खोज और उनके चिंतन के फल स्वरुप हुआ है पुराने समयम मनुष्य अपने पशुओं की गिनती अपने आसपास की वस्तुओं जैसे पत्थर, हल्दिया उंगलियां आदि की सहायता से करता था धीरे-धीरे मनुष्य ने जोड़ना घटाना गुणा करना आदि सीखा कई चीजों को एक साथ गिनने मैं जब उसे कठिनाई हुई तब उसने गिनने वाले सहायक उपकरणों का निर्माण किया
आइए जान गिनतारा अबाकस के बारे में।
गिनतारा किसी वस्तु को गिनने में सहायता करने वाला यह सबसे पहले और सरल उपकरण है।
नेपियर बोन्स
इसकी सहायता से गुना आसानी से किया जाता है
बेब्स का एनालिटिकल इजन
यह एक ऐसी मशीन थी जो आजकल के कंप्यूटर की तरह थी यह सभी गणितीय क्रियाएं कर सकती थी इसमें सूचनाए सुरक्षित भी रह सकती थी किंतु दुर्भाग्य वंश यह मशीन नहीं बन पाई इस मशीन को बनाने वाले प्रोफेसर चार्ल्स बनाया को आधुनिक कप्यूटर का पिता माना जाता है कंप्यूटर को अधिक से अधिक उपयोगी बनाने हेतु उसमें नई-नई क्षमता निरंतर विकसित की जाती रही है सन 1990 के बाद से ऐसे कंप्यूटर का विकास किया जा रहा है। जो सोचने एवं निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं। कंप्यूटर हर जगह उपयोग हो सके इसलिए उसे विभिन्न आकर म भी बनाया गया है
Aashifa
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