उ०प्र० सूक्ष्म एवं लघु उद्योग तकनीकी उन्नयन योजना

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उ०प्र० सूक्ष्म एवं लघु उद्योग तकनीकी उन्नयन योजना

यह योजना शासनादेश सं० 2/ 2019/093/18-2-2019-30(26)/2003 दिनांक 15.02. 2019 के माध्यम से लागू की गयी। इस शासनादेश को कतिपय संशोधनों के साथ शासनादेश सं0-45 / 2024/1607/18-2-2024-30(26)/2003 दिनांक 01.10.2024 के माध्यम से आगामी 05 वर्षों अथवा शासन के अग्रिम आदेशों तक लागू किया गया। विगत तीन वर्षों से कार्यरत सूक्ष्म एवं लघु श्रेणी की ऐसी विनिर्माण इकाईयों जिनके द्वारा तकनीकी उन्नयन करते हुए नई टेक्नोलॉजी की मशीनें खरीदी जाती है, उन्हें इस योजना के अन्तर्गत निम्नवत् प्रकार के लाभ प्रदान किए जाते हैं:-
कैपिटल सब्सिडी :- इकाई द्वारा नई तकनीकी की मशीनें खरीदने पर आने वाली लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम रू0 5.00 लाख की प्रतिपूर्ति विभाग द्वारा किया जाता है।
ब्याज सब्सिडी :- इकाई द्वारा यदि बैंक से ऋण लेकर नयी तकनीकी मशीनें खरीदी जाती है तो 5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से 05 वर्षों हेतु ब्याज सब्सिडी (अधिकतम रू० 1.00 लाख प्रति वर्ष) प्रदान किए जाने का प्रावधान है।
स्वैच्छिक उत्पाद गुणवत्ता मानक और प्रमाणीकरण :- इसके अन्तर्गत आई०एस०आई० मार्क, हालमांर्किंग, बी०आई०एस० कृषि मंत्रालय का एगमार्क, आयुष इत्यादि हेतु प्रमाणीकरण की लागत का सूक्ष्म श्रेणी इकाई हेतु लागत का 75 प्रतिशत (अधिकतम रू0 2.00 लाख) तथा लघु श्रेणी इकाई हेतु लागत का 50 प्रतिशत (अधिकतम रू0 2.00 लाख) के अनुदान का प्राविधान है।
कन्सल्टेंसी सहायता :- उत्पादकता वृद्धि हेतु मान्यता प्राप्त संस्थाओं से परामर्श प्राप्त किये जाने पर व्यय का 50 प्रतिशत अधिकतम रू0 1.00 लाख अनुदान देय है।
ब्रांण्डिग सहायता :- इकाई द्वारा विकसित ब्राण्ड के नाम से 03 वर्षों तक विपणन किया गया हो तथा 03 वर्षों में कुल उत्पाद का कम से कम 50 प्रतिशत विपणन अवश्य किया गया हो तत्पश्चात आवेदन करने पर संबंधित वर्ष के पूर्ण विपणन का एक प्रतिशत (अधिकतम रू० 1.00 लाख) के अनुदान का प्राविधान है।
जनरेटर कय/परिवर्तन/परिवर्धन पर वित्तीय सहायता :- प्रदेश के अन्तर्गत आने वाले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एन०सी०आर०) के सी०ए०क्यू०एम० मानकों के अनुरूप विनिर्माण इकाईयों में प्रयुक्त जनरेटर के गैस आधारित परिवर्तन ड्यूल फ्यूल मोड, 100 प्रतिशत अथवा रिट्रो फिटेड इमीशन कण्ट्रोल डिवासेज (ECDS) अथवा पूर्ण रूपेण एलपीजी / नेचुरल गैस /बॉयोगैस / प्रोपेन/ब्यूटेन फ्यूल आदि अथवा मानकों के अनुरूप नये जनरेटर्स के कय हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जायेगी। यह सहायता उस इकाई विशेष को उत्पादन सम्बन्धी नई मशीनों हेतु किये गये तकनीकी उन्नयन (यदि कोई हो) के अतिरिक्त उपलब्ध कराई जायेगी।




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