बेसन के फायदे और नुकसान
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बेसन (चना, आटा) प्रोटीन, फाइबर और खनिजो से भरपूर होता है, जो पाचन सुधारने, वज़न नियंत्रित करने, मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल को प्रबंधित करने, हड्डियां मज़बूत करने, ख़ून क़ी क़मी दूर करने और त्वचा को चमकदार बनाने में मदद करता है; यह ग्लूटेन फ्री होने के कारण भी फायदेमंद है, लेकिन ज्यादा सेंवन से पाचन सम्बन्धी समस्याएं हो सकती है, इसलिए सिमित मात्रा में खाना चाहिए.
पाचन में सहायक: फाइबर से भरपूर होने के कारण यह कब्ज़, गैस और अपच जैसी समस्याओ को कम करता है और पेट को सुवस्थ रखता है.
वज़न नियंत्रण: इसमे प्रोटीन और फाइबर ज्यादा होता है, जिससे पेट लम्बे समय तक भरा रहता है और वजन घटाने में मदद मिलती है.
ह्रदय सुवस्थय: इसमे मौजूद फाइबर और सुवस्थ वसा कोलेस्ट्रॉल को कम करने और ह्रदय रोगों के जोखिम को घटाने में मदद करते है.
ऐनीमिया दूर करें: आयरन का अच्छा स्त्रोत है, जो खून की कमी (ऐनीमिया) को दूर करता है और ऊर्जा देता है.
मजबूत हड्डियां: केलशीयम, फास्फोरस और मेगनीशियम से भरपूर होने के कारण हड्डियों को मजबूत बनाता है.
ग्लूटेन फ्री: ग्लूटेन से एलर्जी वाले लोगो के लिए गेंहू के आटे का एक बेहतरीन विकल्प है
बेसन के ज्यादा सेवन से पेट फूलना, गैस, कब्ज़ और ऐंठन जैसी पाचन सम्बन्धी दिक्कते हो सकती है क्यूंकि इसमे फाइबर ज्यादा होता है, और कुछ लोगो को इससे ऐलर्जी भी हो सकती है; वही रूखी त्वचा और बच्चों के लिए बेसन का इस्तेमाल नुकसान्देह हो सकता है, खासकर अगर इसे गलत तरीके से या ज्यादा लगाया जाए तो, इससे खुजली या जलन हो सकती है.
पाचन सम्बन्धी समस्याएं: ज्यादा फाइबर के कारण गैस, पेट फूलना (bloating), और कबज़ हो सकती है खासकर अगर पानी कम पिया जाये.
ऐलर्जी: जिन लोगो को फलिया (legumes) या चने से ऐलर्जी है, उन्हें बेसन से रिएक्शन हो सकता है.
वज़न बढ़ना: ज्यादा बेसन (खासकर पकोड़ों या तले हुए रूप में) केलोरी बढ़ाकर वज़न बढ़ा सकता है.
किडनी की समस्या: किडनी के मरीज़ों को डॉक्टर की सलाह पर ही बेसन खाना चाहिए.
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Shabainoor
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