ट्रांसक्रिप्शन और ट्रांसलेशन: DNA से प्रोटीन बनने की प्रक्रिया
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हमारे शरीर की हर कोशिका में मौजूद DNA जीवन की सभी क्रियाओं को नियंत्रित करता है। लेकिन DNA सीधे प्रोटीन नहीं बनाता। DNA की जानकारी पहले RNA में बदली जाती है और फिर RNA की मदद से प्रोटीन बनता है। इस पूरी प्रक्रिया को दो भागों में समझा जाता है-
1. ट्रांसक्रिप्शन (Transcription)
2. ट्रांसलेशन (Translation)
इन्हें मिलाकर Central Dogma of Molecular Biology कहा जाता है।
Central Dogma के अनुसार-
DNA → RNA → Protein
यानी
RNA की सूचना प्रोटीन में बदलती है (ट्रांसलेशन)
ट्रांसक्रिप्शन वह प्रक्रिया है जिसमें DNA की एक श्रृंखला से RNA का निर्माण होता है।
ट्रांसक्रिप्शन को तीन चरणों में समझा जाता है-
1. Initiation (आरंभ)
2. Elongation (विस्तार)
3. Termination (समापन)
ट्रांसलेशन वह प्रक्रिया है जिसमें mRNA की जानकारी से प्रोटीन का निर्माण होता है।
ट्रांसलेशन भी तीन चरणों में होती है-
1. Initiation
2. Elongation
3. Termination
प्रोटीन शरीर की संरचना और क्रियाओं के लिए आवश्यक हैं एंजाइम, हार्मोन, एंटीबॉडी सभी प्रोटीन होते हैं जीन की अभिव्यक्ति इन्हीं प्रक्रियाओं से होती है
ट्रांसक्रिप्शन और ट्रांसलेशन जीवन की मूलभूत जैविक प्रक्रियाएँ हैं। इनके बिना न तो प्रोटीन बन सकता है और न ही जीवन संभव है। DNA की सूचना RNA के माध्यम से प्रोटीन में बदलकर शरीर की हर गतिविधि को नियंत्रित करती है।
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