प्रोटीन संश्लेषण क्या है? ट्रांसक्रिप्शन और ट्रांसलेशन की पूरी जानकारी।
भूमिका
हमारा शरीर करोड़ों कोशिकाओं से मिलकर बना है और हर कोशिका के सही कार्य के लिए प्रोटीन अत्यंत आवश्यक होते हैं। प्रोटीन शरीर की संरचना, कार्य, रक्षा और नियंत्रण-चारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कोशिका के अंदर DNA में संग्रहित आनुवंशिक जानकारी के आधार पर जब प्रोटीन बनते हैं, तो इस पूरी प्रक्रिया को प्रोटीन संश्लेषण (Protein Synthesis) कहा जाता है।
सरल शब्दों में-
DNA → RNA → Protein
यही प्रोटीन संश्लेषण का मूल सिद्धांत है।
प्रोटीन क्या होते हैं?
प्रोटीन अमीनो अम्लों से बने जटिल जैव-अणु होते हैं। लगभग 20 प्रकार के अमीनो अम्ल मिलकर अलग-अलग प्रकार के प्रोटीन बनाते हैं।
प्रोटीन के प्रमुख कार्य
- एंज़ाइम के रूप में रासायनिक अभिक्रियाओं को तेज़ करना
- हार्मोन (जैसे – इंसुलिन) का निर्माण
- मांसपेशियों और ऊतकों का निर्माण
- रोगों से रक्षा (एंटीबॉडी)
कोशिका की संरचना बनाए रखना
प्रोटीन संश्लेषण कहाँ होता हैं?
प्रोटीन संश्लेषण कोशिका के दो मुख्य भागों में होता है-
- नाभिक (Nucleus)
- राइबोसोम (Ribosome)
इसी कारण इसे दो चरणों में समझा जाता है।
प्रोटीन संश्लेषण के दो मुख्य चरण
1. ट्रांसक्रिप्शन (Transcription)
स्थान:
नाभिक (Nucleus)
परिभाषा:
DNA की आनुवंशिक जानका री से mRNA (Messenger RNA) बनने की प्रक्रिया को ट्रांसक्रिप्शन कहते हैं।
प्रक्रिया का विवरण:
- DNA की डबल हेलिक्स संरचना खुलती है
- DNA का एक स्ट्रैंड टेम्पलेट स्ट्रैंड के रूप में कार्य करता है
- RNA Polymerase एंज़ाइम की सहायता से mRNA बनता है
- mRNA में DNA की तरह थाइमिन (T) नहीं होता, उसकी जगह यूरैसिल (U) होता है
उदाहरण:
DNA: ATCG
mRNA: UAGC
ट्रांसक्रिप्शन के बाद बना mRNA नाभिक से बाहर निकलकर राइबोसोम तक पहुँचता है।
2. ट्रांसलेशन (Translation)
स्थान:
राइबोसोम (Ribosome)
परिभाषा:
mRNA में उपस्थित कोड के अनुसार अमीनो अम्लों को जोड़कर प्रोटीन बनाने की प्रक्रिया को ट्रांसलेशन कहते हैं।
ट्रांसलेशन में भाग लेने वाले घटक
1. mRNA
- DNA से जानकारी लेकर आता है
- इसमें कोडॉन होते हैं (तीन न्यूक्लियोटाइड का समूह)
2. tRNA (Transfer RNA)
- अमीनो अम्लों को राइबोसोम तक लाता है
- इसमें एंटीकोडॉन होता है
3. राइबोसोम
- प्रोटीन संश्लेषण की फैक्ट्री
- mRNA और tRNA को जोड़कर प्रोटीन बनाता है
ट्रांसलेशन की तीन अवस्थाएँ
1. Initiation (आरंभ)
- mRNA राइबोसोम से जुड़ता है
- पहला कोडॉन (AUG) स्टार्ट कोडॉन कहलाता है
- मेथियोनीन अमीनो अम्ल से प्रक्रिया शुरू होती है
2. Elongation (विस्तार)
- tRNA एक-एक करके अमीनो अम्ल लाता है
- अमीनो अम्लों के बीच पेप्टाइड बंध (Peptide Bond) बनता है
- लंबी प्रोटीन श्रृंखला बनती जाती है
3. Termination (समापन)
- स्टॉप कोडॉन (UAA, UAG, UGA) आने पर प्रक्रिया रुक जाती है
- पूरी प्रोटीन श्रृंखला मुक्त हो जाती है
जेनेटिक कोड (Genetic Code)
जेनेटिक कोड वह नियम है, जिससे यह तय होता है कि कौन-सा कोडॉन कौन-सा अमीनो अम्ल बनाएगा।
जेनेटिक कोड की विशेषताएँ: - यह त्रिक (Triplet) होता है
- लगभग सार्वभौमिक (Universal) होता है
- प्रत्येक कोडॉन केवल एक अमीनो अम्ल के लिए विशिष्ट होता है
प्रोटीन संश्लेषण का जैविक महत्व
- शरीर की वृद्धि और विकास
- ऊतकों की मरम्मत
- एंज़ाइम और हार्मोन का निर्माण
- रोग प्रतिरोधक क्षमता
- कोशिकाओं का नियंत्रण और समन्वय
निष्कर्ष
प्रोटीन संश्लेषण एक अत्यंत महत्वपूर्ण जैविक प्रक्रिया है, जिसके बिना जीवन संभव नहीं है। यह प्रक्रिया यह सिद्ध करती है कि DNA में छिपी जानकारी कैसे वास्तविक संरचना और कार्य में बदलती है। यही कारण है कि प्रोटीन संश्लेषण को जीवन की मूलभूत प्रक्रिया कहा जाता है।
Sanskriti Digital content writer
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