मन को शांत रखने के लिए नियमित रूप से करें शीतकारी प्राणायाम ?
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शीतकारी प्राणायाम, शरीर को ठंडा करने वाला प्राणायाम है. यह प्राणायाम करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है
शीतकारी प्राणायाम करने का तरीकाः
किसी खुली, साफ़-सुथरी और एकांत जगह पर बैठ जाएं
कमलसन की मुद्रा में बैठें
मुंह खोलें और जीभ को बाहर निकालकर नली की तरह आकार दें
मुंह से सांस लेने की कोशिश करें
सांस को नाक से बाहर निकालें
किसी आरामदायक आसन में बैठ जाएं
हथेलियों को घुटनों पर रखें
जीभ को ऊपर की ओर घुमाकर ऊपरी तालू को छुएं
दांतों को आपस में मिलाएं और होठों को अलग करें
धीरे-धीरे सांस लें
किसी भी सुविधाजनक ध्यान करने की मुद्रा में बैठें। आँखें बंद करें और सारे शरीर को रिलेक्स करें। हाथों को चिन या ज्ञान मुद्रा में घुटनों पर रख सकते हैं।
दांतों को हल्के से जोड़ें, पर होंठ अलग रखें ताकि अगर कोई सामने खड़ा हो तो उसे आपके दाँत दिखाई दें।
जीभ को फ्लैट रख सकते हैं या मोड़ कर मूह के उपरी हिस्से पर टिका कर रख सकता है।
दांतों के माध्यम से धीमे से और गहराई से साँस लें।
जब साँस अंदर ले लें, तो मुंह को बंद कर लें। जीभ को वैसे ही रखें जैसे शुरू में थी।
एक नियंत्रित तरीके से नाक से धीरे-धीरे साँस छोड़ें।
यह एक चक्र है। 9 चक्र करें।
सबसे पहले पेट में सांस भरें, फिर छाती में, और फिर गर्दन में
सांस लेते समय हल्की फुसफुसाहट की आवाज़ निकालें
पेट और छाती में सांस भरने के बाद नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़ें
इस प्रक्रिया को करीब 10 बार दोहराएं
शीतकारी प्राणायाम के फ़ायदेः
शीतली प्राणायाम करने से कई फ़ायदे होते हैं. यह शरीर को ठंडा रखता है और तनाव को कम करता है. यह प्राणायाम करने से शरीर में ताजगी का एहसास होता है
शरीर को ठंडक पहुंचाता है
थकान दूर करता है और नींद अच्छी आती है
हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है
तनाव, घबराहट, और चिंता को कम करता है
गुस्से को नियंत्रित करने में मदद करता है
पित्त शांत होने से शरीर ठंडा होता है
इम्यूनिटी बढ़ाने में मददगार है
यह प्राणायाम शरीर के तापमान को कम करता है
यह बुखार में फ़ायदेमंद है
यह मुंह, गले, और जीभ से जुड़ी बीमारियों में फ़ायदेमंद है
यह प्लीहा और अपच में मदद करता है
यह उच्च रक्तचाप में फ़ायदेमंद है
यह दिमाग को शांत करता है
यह भावनात्मक उत्तेजना और मानसिक तनाव को कम करता है
स्किन रैशेज, दाने बहुत आते हैं, तो उसे भी दूर करता है
यह तन और मन को शीतल कर देता है।
शीतकारी प्राणायाम मस्तिष्क के उन केंद्रों को प्रभावित करता है जो शारीरिक तापमान को केंद्रित करते हैं।
यह सारे शरीर में प्राण-प्रवाह को आसान बनाता है।
शीतकारी प्राणायाम सारे शरीर की मांसपेशियों को आराम पहुँचाता है।
यह प्राणायाम दिमाग़ और संपूर्ण शरीर को शांत करता है, इसलिए अगर इसे सोने से पहले करें तो यह सुखद नींद पाने में मदद करता है।
शीतकारी प्राणायाम करने से प्यास और भूख पर काबू बढ़ता है।
इसका नियमित अभ्यास रक्तचाप को कम कर सकता है।
दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखता है शीतकारी प्राणायाम
यह प्राणायाम मन को शांत रखता है
यह प्राणायाम पित्त की समस्या को दूर करता है
यह प्राणायाम जबड़ों की सेहत के लिए अच्छा है
यह प्राणायाम हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है
गर्मी के मौसम में यह प्राणायाम करने से शरीर पर शीतलता का प्रभाव बढ़ता है।
शीतकारी प्राणायाम शरीर के तापमान को ठंडा करके शरीर और दिमाग को आराम दिलाने में मदद करता है।
शीतकारी प्राणायाम भूख, प्यास, नींद और आलस की समस्या को दूर करने में फायदेमंद है।
शीतकारी प्राणायाम कैसे किया जाता है?
सांस लेते समय ध्यान दें कि हल्की फुसफुसाहट की आवाज निकले, जैसे सांप के फुंफकारने की आवाज होती है। अपने पेट और छाती में सांस भरने के बाद नाक की मदद से धीरे-धीरे सांस को छोड़ें। शीतकारी प्राणायाम का एक सिर्फ एक सेट हैं आप जितनी देर तक कर सकते हैं इस पूरी प्रक्रिया को दोहराएं।
शीतकारी प्राणायाम शरीर को क्या देता है?
शीतली प्राणायाम आपके शरीर का तापमान कम करता है जो आपकी पित्त की समस्या को दूर करता है. सबसे पहले किसी खुली जगह जैसे मैदान या गार्डन में बैठ जाए. अब अपनी जीभ को बाहर की ओर निकालते हुए उसे रोल करें और धीरे-धीरे सांस अंदर खींचे और इसे कुछ सेकंड के लिए होल्ड करने के बाद फिर सांस छोड़ दें
शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास कैसे करें?
अपने निचले और ऊपरी दांतों को एक साथ दबाएं और अपने होठों को जितना संभव हो उतना अलग रखें। अपने दांतों के बीच की जगह से धीरे-धीरे सांस लें। हवा अंदर खींचते समय अपनी सांस की आवाज़ सुनें। साँस अंदर लेने के अंत में अपना मुँह बंद करें और धीरे-धीरे अपनी नाक से साँस छोड़ें।
शीतकारी प्राणायाम क्या है?
शीतकारी प्राणायाम, सांस लेने का एक तरीका है जिससे शरीर ठंडा होता है. यह प्राणायाम गर्मी में किया जाता है. इसे करने से शरीर में नमी आती है और पित्त असंतुलन दूर होता है. शीतकारी प्राणायाम करने से शरीर को शीतलता का अहसास होता है
शीतकारी प्राणायाम से जुड़ी कुछ और बातें:
शीतकारी प्राणायाम करने से पित्त दोष दूर होता है
सर्दियों में शीतकारी प्राणायाम नहीं करना चाहिए
खांसी से पीड़ित लोगों को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए
शीतकारी प्राणायाम करने में क्या सावधानी बरती जाए
यदि आपके संवेदनशील दाँत हों, दाँत कम हों या दाँत ना हों तो शीतकारी प्राणायाम के बजाय शीतली प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए।
निम्न रक्तचाप या कोई भी साँस से संबंधित बीमारी हो तो शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास ना करें।
अगर आपको हृदय रोग हो, तो इस प्राणायाम के अभ्यास में साँस ना रोकें।
अगर आपको पुरानी कब्ज की शिकायत हो तो शीतकारी प्राणायाम ना करें।
सामान्य रूप से, इस प्राणायाम को सर्दियों में या ठंडे वातावरण में ना करें।
शीतली प्राणायाम कैसे ?
सबसे पहले किसी खुली, साफ-सुथरी और एकांत जगह गार्डेन में बैठ जाएं। फिर कमालसन की मुद्रा में बैठें। अब मुंह खोले और जीभ को बाहर निकालकर नली की तरह आकार दें और मुंह से सांस लेने की कोशिश करें। फिर सांस को नाक से बाहर निकालें।
शीतली और शीतकारी प्राणायाम में क्या अंतर है?
चंद्रनाड़ी का अभ्यास केवल बायीं नासिका से सांस लेकर किया जाता है, जबकि शीतली प्राणायाम का अभ्यास मुड़ी हुई जीभ से ठंडी हवा को अंदर खींचकर किया जाता है और शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास बंद दांतों के माध्यम से मुंह के किनारों से हवा को अंदर खींचकर किया जाता है।
शीतकारी प्राणायाम करने के नुकसान
शीतकारी प्राणायाम करने से कुछ लोगों को नुकसान हो सकता है. इनमें से कुछ लोग ये हैं
जिन लोगों को सांस से जुड़ी समस्याएं हैं, जैसे कि अस्थमा, सर्दी-खांसी, या टॉन्सिलिटिस
जिन लोगों को हृदय रोग है
जिन लोगों को कब्ज़ है
जिन लोगों को कमज़ोर दांत हैं या दांत नहीं हैं
जिन लोगों को निम्न रक्तचाप है
जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर है
जिन लोगों को हाल ही में बुखार आया है
जो गर्भवती हैं
जिन लोगों को सर्वाइकल की समस्या है
प्राणायाम करने से होने वाले कुछ और नुकसान:
सिरदर्द
चक्कर आना
सुस्ती
विचारों में स्थिरता की कमी
बेचैनी
उल्टी जैसा अहसास
अपच
मानसिक असंतुलन
मुंह का सूखना
ब्लड शुगर का बढ़ना
निम्न रक्तचाप या कोई भी साँस से संबंधित बीमारी हो तो शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास ना करें। अगर आपको हृदय रोग हो, तो इस प्राणायाम के अभ्यास में साँस ना रोकें। अगर आपको पुरानी कब्ज की शिकायत हो तो शीतकारी प्राणायाम ना करें। सामान्य रूप से, इस प्राणायाम को सर्दियों में या ठंडे वातावरण में ना करें।
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