परजनन तंत्र (Parjannan Tantra)

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परजनन तंत्र (Parjannan Tantra)

प्रस्तावना

परजनन तंत्र मानव शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण तंत्र है, जिसका मुख्य कार्य नए जीवों की उत्पत्ति करना होता है। इसी तंत्र के कारण पृथ्वी पर जीवन की निरंतरता बनी रहती है। मानव शरीर में परजनन तंत्र पुरुष और स्त्री में भिन्न-भिन्न होता है।

परजनन तंत्र की परिभाषा

परजनन तंत्र वह जैविक तंत्र है जो यौन कोशिकाओं (Gametes) का निर्माण करता है, उनके मिलन में सहायता करता है तथा नई संतान के विकास में सहायक होता है।

मानव परजनन तंत्र के प्रकार

मानव परजनन तंत्र दो भागों में विभाजित होता है-

1.पुरुष परजनन तंत्र

2.स्त्री परजनन तंत्र

1. पुरुष परजनन तंत्र

पुरुष परजनन तंत्र का मुख्य कार्य शुक्राणुओं (Sperms) का निर्माण और उनका स्त्री शरीर तक पहुँचाना होता है।

मुख्य अंग

  • वृषण (Testes) – शुक्राणु एवं टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का निर्माण

  • शुक्रवाहिनी (Vas deferens) – शुक्राणुओं का परिवहन

  • शिश्न (Penis) – शुक्राणुओं को स्त्री जनन मार्ग में पहुँचाना

  • सहायक ग्रंथियाँ – वीर्य द्रव का निर्माण

2. स्त्री परजनन तंत्र

स्त्री परजनन तंत्र का कार्य अंडाणु (Ovum) का निर्माण, भ्रूण का विकास तथा शिशु का जन्म कराना होता है।

मुख्य अंग

  • अंडाशय (Ovary) – अंडाणु एवं हार्मोन का निर्माण

  • अंडवाहिनी (Fallopian Tube) – निषेचन का स्थान

  • गर्भाशय (Uterus) – भ्रूण का विकास

  • योनि (Vagina) – शिशु जन्म का मार्ग

  • निषेचन (Fertilization)

जब पुरुष का शुक्राणु और स्त्री का अंडाणु आपस में मिलते हैं, तो निषेचन होता है। इससे युग्मनज (Zygote) बनता है, जो आगे चलकर भ्रूण और शिशु का रूप लेता है।

परजनन तंत्र का महत्व

  • जीवन की निरंतरता बनाए रखता है

  • प्रजातियों के अस्तित्व में सहायक

  • हार्मोन संतुलन में भूमिका

  • शारीरिक एवं मानसिक विकास में योगदान

निष्कर्ष

परजनन तंत्र मानव जीवन का आधार है। इसके बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं है। इस तंत्र का सही ज्ञान हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाता है और जैविक प्रक्रियाओं को समझने में सहायता करता है।




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