मानव शरीर में भोजन के पाचन और चयापचय के बाद अनेक हानिकारक व अपशिष्ट पदार्थ बनते हैं। इन अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का कार्य उत्सर्जन तंत्र करता है। यह तंत्र शरीर को स्वस्थ और संतुलित बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उत्सर्जन तंत्र क्या है?
उत्सर्जन तंत्र शरीर का वह तंत्र है, जो विषैले पदार्थों, अतिरिक्त जल, लवण एवं यूरिया को शरीर से बाहर निकालता है। यह रक्त को शुद्ध रखने में सहायता करता है।
उत्सर्जन तंत्र के अंग
उत्सर्जन तंत्र निम्नलिखित प्रमुख अंगों से मिलकर बना होता है:
वृक्क (Kidney) – रक्त को छानकर मूत्र बनाते हैं
मूत्रवाहिनी (Ureter) – मूत्र को वृक्क से मूत्राशय तक ले जाती है
मूत्राशय (Urinary Bladder) – मूत्र को संग्रहित करता है
मूत्रमार्ग (Urethra) – मूत्र को शरीर से बाहर निकालता है
त्वचा (Skin) – पसीने द्वारा अपशिष्ट निकालती है
फेफड़े (Lungs) – कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकालते हैं
मूत्र निर्माण की प्रक्रिया
मूत्र निर्माण मुख्यतः वृक्क में होता है और इसमें तीन चरण शामिल हैं:
छनन (Filtration) – रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को छाना जाता है
पुनःअवशोषण (Reabsorption) – आवश्यक पदार्थ वापस रक्त में चले जाते हैं
स्राव (Secretion) – अतिरिक्त अपशिष्ट मूत्र में मिला दिए जाते हैं
उत्सर्जन तंत्र के कार्य
रक्त को शुद्ध करना
अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालना
जल व लवण संतुलन बनाए रखना
शरीर का तापमान नियंत्रित करना
शरीर के pH संतुलन को बनाए रखना
उत्सर्जन तंत्र से संबंधित रोग
वृक्क पथरी (Kidney Stone)
मूत्र संक्रमण (UTI)
वृक्क विफलता (Kidney Failure)
नेफ्राइटिस
मधुमेह से संबंधित वृक्क रोग
उत्सर्जन तंत्र को स्वस्थ रखने के उपाय
पर्याप्त मात्रा में पानी पिएँ
संतुलित एवं कम नमक वाला आहार लें
नियमित व्यायाम करें
मूत्र को लंबे समय तक न रोकें
नशे और धूम्रपान से बचें
निष्कर्ष
उत्सर्जन तंत्र शरीर की स्वच्छता बनाए रखने वाला एक अत्यंत आवश्यक तंत्र है। इसके बिना शरीर में विषैले पदार्थ जमा हो सकते हैं, जो गंभीर रोगों का कारण बनते हैं। इसलिए हमें अपने उत्सर्जन तंत्र की देखभाल करनी चाहिए।
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