चालाक लोमड़ी
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कोआ आया, कोआ आया रोटी अपनी चोंच में लाया। एक लोमड़ी बड़ी सयानी उसके मुंह में आया पानी। उसने सोचा काश, यह रोटी मुझे मिल जाए। फिर उसे पाने को लोमड़ी को सजा एक उपाय। बोली-भईया गीत सुनाओ।
सुन प्रशंसा कोआ बोल-काँव-काँव। रोटी आ गिरी लोमड़ी के पांव में। उठाकर लोमड़ी जल्दी गांव में।
शिक्षा: झूठी प्रशंसा सेेेे सावधान रहना चाहिए।
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Nainshi dhiman
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