आए जाने मानव नेत्र क्या होता है

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आए जाने मानव नेत्र क्या होता है

आए जाने मानव नेत्र क्या होता है

मानव नेत्र, शरीर की एक अत्यंत जटिल ज्ञानेन्द्रिय है जो प्रकाश के प्रति प्रतिक्रिया करती है और हमें दुनिया को देखने की क्षमता देती है. यह एक प्रकाशीय यंत्र की तरह काम करती है, जिसमें कॉर्निया (स्वच्छमंडल), परितारिका (आइरिस), पुतली, लेंस, और रेटिना जैसे भाग होते हैं, जो प्रकाश को केंद्रित करके प्रतिबिंब बनाते हैं और उसकी जानकारी मस्तिष्क तक पहुँचाते हैं. 

मानव नेत्र के मुख्य भाग और उनके कार्य:

कॉर्निया (Cornea):

आँख की बाहरी परत होती है जो प्रकाश को अंदर प्रवेश करने देती है. 

आइरिस (Iris):

यह रंगीन हिस्सा होता है जो पुतली के आकार को नियंत्रित करता है और आँखों में जाने वाले प्रकाश की मात्रा को समायोजित करता है. 

पुतली (Pupil):

यह आइरिस के बीच का छिद्र है, जो प्रकाश को आँख के अंदर प्रवेश करने देता है. 

लेंस (Lens):

यह एक उत्तल लेंस होता है, जो कॉर्निया से आने वाली प्रकाश किरणों को रेटिना पर केंद्रित करता है. 

रेटिना (Retina):

आँख के पीछे स्थित पर्दा है, जिस पर वस्तु का प्रतिबिम्ब बनता है. इसमें छड़ें और शंकु नामक प्रकाशग्राही कोशिकाएं होती हैं, जो प्रकाश की तीव्रता और रंगों का पता लगाती हैं. 

दृष्टि तंत्रिका (Optic Nerve):

यह रेटिना से प्रकाश संबंधी संकेतों को मस्तिष्क तक पहुंचाती है, जहाँ उनका विश्लेषण करके हम दुनिया को देख पाते हैं. 

कार्यप्रणाली: 

वस्तु से चली प्रकाश की किरणें कॉर्निया से गुजरती हैं.

फिर ये किरणें लेंस द्वारा अपवर्तित (मोड़ी) जाती हैं और रेटिना पर केंद्रित होती हैं.

रेटिना पर बनने वाला प्रतिबिंब आमतौर पर उल्टा होता है.

रेटिना पर मौजूद प्रकाशग्राही कोशिकाएं इस सूचना को विद्युत संकेतों में बदल देती हैं.

ये संकेत दृष्टि तंत्रिका के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुँचते हैं.

मस्तिष्क इन संकेतों को संसाधित करता है और हमें वस्तु का सीधा प्रतिबिम्ब दिखाई देता है.




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