क्या आप जानते है कुछ मानव व्यवहार और व्यक्तित्व: आलस्य व्यक्तित्व और आदतों के मनोवैज्ञानिक पहलू

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मानव व्यवहार और व्यक्तित्व: आलस्य, व्यक्तित्व और आदतों के मनोवैज्ञानिक पहलू

हम सभी के जीवन में सोच, निर्णय और व्यवहार का गहरा प्रभाव होता है। मानव व्यवहार और व्यक्तित्व का अध्ययन हमें यह समझने में मदद करता है कि हम क्यों वैसा करते हैं जैसा करते हैं, और हमारी आदतें और सोच हमारे जीवन को कैसे आकार देती हैं। इस ब्लॉग में हम तीन महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देंगे: आलस्य (Procrastination), इंट्रोवर्ट और एक्स्ट्रोवर्ट व्यक्तित्व, और आदतों का निर्माण और परिवर्तन।

1. आलस्य (Procrastination) के मनोवैज्ञानिक कारण

आलस्य या Procrastination वह प्रवृत्ति है जिसमें हम आवश्यक कार्यों को टालते रहते हैं, चाहे उन्हें करना कितना भी जरूरी क्यों न हो। यह सिर्फ समय की बर्बादी नहीं है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और सफलता पर भी असर डालता है।

मुख्य कारण:

1. डर और असफलता का भय:

लोग अक्सर काम शुरू करने से डरते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे सफल नहीं होंगे।

उदाहरण: एक छात्र जो परीक्षा की तैयारी टालता है क्योंकि उसे डर है कि वह अच्छे अंक नहीं ला पाएगा।

2. परफेक्शनिज़्म 

सब कुछ सही होना चाहिए" की सोच काम को शुरू करने में बाधा डालती है।

उदाहरण: लेखक जो किताब लिखना चाहता है, लेकिन हर शब्द पर सही होने की चिंता में महीनों तक लिखना टालता रहता है।

3. ऊर्जा और ध्यान की कमी:

मानसिक थकान या ध्यान की कमी भी आलस्य बढ़ाती है।

उदाहरण: लंबे काम के बाद व्यक्ति नए कार्यों को टालता है।

4. प्रोत्साहन की कमी:

जब लक्ष्य स्पष्ट नहीं होता या प्रेरणा कमजोर होती है, तो काम टलता है।

उपाय और टिप्स:

बड़े कार्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटें।

समय सीमा (Deadline) तय करें।

खुद को छोटे इनाम और प्रोत्साहन दें।

ध्यान और ऊर्जा बनाए रखने के लिए ब्रेक और आराम लें।

2. इंट्रोवर्ट और एक्स्ट्रोवर्ट व्यक्तित्व

हर व्यक्ति का व्यक्तित्व अलग होता है। यह निर्धारित करता है कि हम सोचते कैसे हैं, दूसरों के साथ कैसे व्यवहार करते हैं और जीवन में ऊर्जा कहाँ से प्राप्त करते हैं।

इंट्रोवर्ट 

अकेले समय बिताने से ऊर्जा मिलती है।

गहरी सोच और आत्म-विश्लेषण में बेहतर।

शांत, गंभीर और एकाग्र।

उदाहरण: कोई व्यक्ति जो मीटिंग्स में कम बोलता है, लेकिन अकेले काम करने में उत्कृष्ट होता है।

 एक्स्ट्रोवर्ट 

सामाजिक इंटरैक्शन से ऊर्जा मिलती है।

सक्रिय, मिलनसार और टीम में अच्छे।

जल्दी निर्णय लेने और नए अवसर अपनाने में सहज।

उदाहरण: टीम प्रोजेक्ट में दूसरों को प्रेरित करना और नेतृत्व करना।

ध्यान देने योग्य बातें

कोई भी व्यक्तित्व बेहतर या खराब नहीं होता।

दोनों के अपने फायदे और चुनौतियाँ होती हैं।

सफलता का राज अपने व्यक्तित्व के अनुसार कार्य करना और अपनी शक्तियों का उपयोग करना है।

3. आदतें क्यों बनती हैं और कैसे बदलती हैं

आदतें हमारे रोज़मर्रा के व्यवहार का आधार होती हैं। ये मस्तिष्क में दोहराव और ट्रिगर के कारण ऑटोमैटिक बन जाती हैं।

आदते कैसे बनती है

किसी कार्य को लगातार दोहराना।

किसी परिस्थिति या ट्रिगर के साथ व्यवहार को जोड़ना।

मस्तिष्क इसे ऑटोमैटिक पैटर्न में बदल देता है।

अच्छी आदतो के उदाहरण 

रोज़ सुबह व्यायाम करना।

ध्यान या मेडिटेशन करना।

समय पर सोना और जागना।

बुरी आदत के उदाहरण 

देर तक फोन इस्तेमाल करना।

अनियमित खान-पान।

आलस्य और टालमटोल।

आदत बदलने के मनोवैज्ञानिक तरीके:

1. छोटे कदमों से शुरुआत करें: बड़े बदलाव से डरने की बजाय छोटे बदलाव अपनाएं।

2. ट्रिगर और रूटीन पहचानें: समझें कौन सी परिस्थितियां आपकी आदत को ट्रिगर करती

3. इनाम और प्रोत्साहन: नई आदत पूरी करने पर खुद को इनाम दें।

4. निरंतर अभ्यास और धैर्य: आदत बदलने में समय लगता है, रोज़ अभ्यास करें।

उदाहरण 

अगर आप हर रात सोने से पहले मोबाइल इस्तेमाल करते हैं, तो इसे धीरे-धीरे 10 मिनट पहले छोड़ना शुरू करें।

नई आदत को अपनी दिनचर्या में जोड़ें और सफलता का जश्न मनाएं।

 

 

 

 

 

 

 

 




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