तनाव से मुक्ति की राह मनोविज्ञान की नजर से शांत और संतुलित जीवन के उपाय
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तनाव हमारे शरीर और मन की वह प्रतिक्रिया है जो तब होती है जब हम किसी दबाव, चुनौती या बदलाव का सामना करते हैं। थोड़ा बहुत तनाव सामान्य है - यह हमें सक्रिय रखता है, लेकिन जब तनाव ज़्यादा बढ़ जाए, तो यह मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से नुकसान पहुँचाता है।
नींद न आना या ज़्यादा सोना
चिड़चिड़ापन और गुस्सा
सिरदर्द या थकान
ध्यान केंद्रित न कर पाना
रोज़ाना कम से कम 15–20 मिनट ध्यान करें
गहरी साँस लें और योग करें
अपनी दिनचर्या में मनपसंद चीज़ें शामिल करें (संगीत, किताबें, टहलना)
दोस्तों और परिवार से बात करें
मोबाइल और सोशल मीडिया से थोड़ा ब्रेक लें
डिप्रेशन सिर्फ़ "उदासी" नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति लंबे समय तक निराशा, खालीपन और नकारात्मक विचारों में डूबा रहता है।
लगातार उदासी या रुचि की कमी
भूख या नींद में बदलाव
खुद को बेकार महसूस करना
आत्मघाती विचार
किसी मनोवैज्ञानिक या काउंसलर से मदद लें
छोटी-छोटी चीज़ों में ख़ुशी ढूँढें
अपने विचारों को लिखें (Journal लिखना बहुत मददगार है)
शरीर को सक्रिय रखें - सुबह टहलना, एक्सरसाइज़
परिवार या दोस्तों से दूरी न बनाएं
एंग्जायटी का मतलब है - भविष्य को लेकर अत्यधिक चिंता या डर। कभी-कभी ये चिंता इतनी बढ़ जाती है कि व्यक्ति सामान्य काम भी नहीं कर पाता।
दिल की धड़कन तेज़ होना
पसीना आना
घबराहट या डर का अहसास
सोने में कठिनाई
धीरे-धीरे गहरी साँस लें
कैफीन (चाय, कॉफी) कम करें
नियमित योग और मेडिटेशन करें
नींद पूरी लें
"माइंडफुलनेस" यानी वर्तमान क्षण में रहना सीखें
सेल्फ-केयर का मतलब है - खुद का ख्याल रखना, अपनी मानसिक और भावनात्मक ज़रूरतों को समझना।
हम अक्सर दूसरों की देखभाल में खुद को भूल जाते हैं, जबकि आत्म-देखभाल हमें ऊर्जावान और खुश रखती है।
दिन में थोड़ा "मी-टाइम" निकालें
अपनी सीमाएँ तय करें - "ना" कहना सीखें
पौष्टिक भोजन और पर्याप्त नींद लें
अपने शौक पूरे करें (ड्रॉइंग, पढ़ना, संगीत आदि)
अपने मन की बात किसी विश्वसनीय व्यक्ति से शेयर करें
नींद और मानसिक स्वास्थ्य का गहरा रिश्ता है। अगर नींद पूरी नहीं होती, तो दिमाग थक जाता है, मूड खराब रहता है और चिंता या अवसाद जैसी समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल
चिड़चिड़ापन
याददाश्त कम होना
डिप्रेशन या एंग्जायटी का खतरा बढ़ना
अच्छी नींद के प्रभाव
रोज़ एक ही समय पर सोएँ और उठें
सोने से पहले मोबाइल, टीवी आदि से दूरी रखें
कमरे का वातावरण शांत और ठंडा रखें
रात में भारी खाना न खाएँ
सोने से पहले 10 मिनट ध्यान करें या हल्का संगीत सुनें
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Shagun
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