आप लोगों के द्वारा diabetes के बारे सबसे ज्यादा पूछे गए प्रश्न उत्तर
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डायबिटीज एक पुरानी बीमारी है जिसमें रक्त में शुगर (ग्लूकोज) का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है। यह इंसुलिन हार्मोन की कमी या शरीर द्वारा इसके प्रभावी उपयोग न होने के कारण होता है।
टाइप 1 डायबिटीज: शरीर इंसुलिन नहीं बना पाता (आमतौर पर बचपन/किशोरावस्था में शुरू होता है)।
टाइप 2 डायबिटीज: शरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता (वयस्कों में आम, लेकिन अब युवाओं में भी बढ़ रहा है)।
गर्भकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes): गर्भावस्था के दौरान होता है।
बार-बार पेशाब आना
अधिक प्यास लगना
थकान और कमजोरी
धुंधली दृष्टि
घाव भरने में देरी
टाइप 1 डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इंसुलिन और जीवनशैली प्रबंधन से नियंत्रित किया जा सकता है। टाइप 2 डायबिटीज को डाइट, एक्सरसाइज और दवाओं से कंट्रोल किया जा सकता है, कभी-कभी रिवर्स भी हो सकता है।
Fasting Blood Sugar Test (खाली पेट ब्लड शुगर)
HbA1c Test (3 महीने का औसत ब्लड शुगर लेवल)
Oral Glucose Tolerance Test (OGTT)
हरी पत्तेदार सब्जियाँ
फाइबर युक्त आहार (जैसे ओट्स, दालें)
प्रोटीन (दाल, अंडे, मछली)
कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फल (सेब, नाशपाती)
चीनी और मीठे पेय (कोल्ड ड्रिंक, जूस)
रिफाइंड कार्ब्स (मैदा, सफेद चावल)
तले हुए और प्रोसेस्ड फूड
हाँ, लेकिन कम शुगर वाले फल जैसे जामुन, संतरा, पपीता लें। अधिक मीठे फल (आम, केला, अंगूर) सीमित मात्रा में खाएं।
सफेद चावल की जगह **ब्राउन राइस या क्विनो
हाँ, टाइप 2 डायबिटीज में आनुवंशिक प्रवृत्ति होती है, लेकिन अनहेल्दी लाइफस्टाइल इसके खतरे को बढ़ा देता है।
खाली पेट: 70–100 mg/dL (सामान्य), 100–125 mg/dL (प्री-डायबिटीज), 126 mg/dL+ (डायबिटीज)
खाने के 2 घंटे बाद: 140 mg/dL से कम (सामान्य), 180 mg/dL+ (डायबिटीज)
शहद में भी शुगर होती है, इसलिए बहुत कम मात्रा में ही लें या डॉक्टर से सलाह लें।
वॉकिंग, योग, साइक्लिंग
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (मांसपेशियों की संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए)
हाँ, डायबिटिक रेटिनोपैथी हो सकती है, जिससे दृष्टि कमजोर हो सकती है। नियमित आँखों की जाँच जरूरी है।
हाई शुगर लेवल से पैरों में सुन्नता, घाव और इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। रोजाना पैरों की जाँच करें।
हाँ, उबले अंडे प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं, लेकिन अगर कोलेस्ट्रॉल अधिक है तो सीमित मात्रा में लें।
तनाव से कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जो ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकता है।
हाँ, लेकिन लो-फैट या टोंड दूध बेहतर है। मीठा दूध (जैसे बादाम दूध) न पिएँ।
ग्रीन टी, ब्लैक टी (बिना चीनी के)
दालचीनी वाली चाय (शुगर कंट्रोल में मददगार)
हाँ, डायबिटिक नेफ्रोपैथी एक गंभीर जटिलता है। नियमित किडनी फंक्शन टेस्ट करवाएँ।
6–8 घंटे की नींद जरूरी है। नींद की कमी से इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ सकता है।
हाँ, लेकिन एक गिलास से अधिक नहीं, क्योंकि इसमें प्राकृतिक शुगर होती है।
सरसों का तेल, ऑलिव ऑयल, कोकोनट ऑयल (सीमित मात्रा में)
वनस्पति घी और रिफाइंड तेल से बचें।
डॉक्टर की सलाह लें, क्योंकि लंबे समय तक भूखे रहने से हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है।
मूंग दाल, चना दाल, अरहर दाल (फाइबर युक्त)
उड़द दाल कम मात्रा में लें।
गुड़ में शुगर होती है, इसलिए नहीं खाना चाहिए या बहुत कम मात्रा में लें।
बादाम, अखरोट, काजू (कम मात्रा में)
किशमिश, खजूर से बचें।
नहीं, यह ब्लड शुगर को अनियंत्रित कर सकता है और लीवर को नुकसान पहुँचाता है।
हाई शुगर लेवल से नर्व डैमेज (डायबिटिक न्यूरोपैथी) हो सकती है।
हाँ, डायबिटीज वाले लोगों को गंभीर संक्रमण का खतरा अधिक होता है, इसलिए वैक्सीन और सावधानी जरूरी है।
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